जिसके लिए मां ने गिरवी रखे गहने, उसी बेटी ने क्रैक कर दिखाया UPSC... मिलिए शोलापुर की स्वाति राठौड़ से

नई दिल्ली: हथेली पर रखकर नसीब, तू क्यों अपना मुकद्दर ढूंढता है... सीख उस समंदर से, जो टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है। इन लाइनों का अगर मतलब जानना हो, तो महाराष्ट्र के शोलापुर की स्वाति मोहन राठौड़ से मिलिए। स्वाति वो नाम है, जो आज शोलापुर के घर-घ

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नई दिल्ली: हथेली पर रखकर नसीब, तू क्यों अपना मुकद्दर ढूंढता है... सीख उस समंदर से, जो टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है। इन लाइनों का अगर मतलब जानना हो, तो महाराष्ट्र के शोलापुर की स्वाति मोहन राठौड़ से मिलिए। स्वाति वो नाम है, जो आज शोलापुर के घर-घर में गूंज रहा है। महाराष्ट्र की इस बेटी ने बेहद मुश्किल हालात के बीच वो कर दिखाया है, जिसकी कल्पना करना भी शायद मुश्किल है। स्वाति के पिता गली-गली घूमकर सब्जियां बेचते हैं। पढ़ाई के लिए रुपयों की कमी पड़ी, तो मां ने बेटी के लिए अपनी शादी के गहने तक गिरवी रख दिए। और अब, उनकी उसी बेटी ने यूपीएससी में 492वीं रैंक हासिल कर अपने मां-बाप का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
यूपीएससी क्लियर करने की स्वाति की राह हर मोड़ पर परेशानियों से भरी थी। पिता सब्जियां बेचकर परिवार का गुजारा करते थे। परिवार में माता-पिता के अलावा तीन बहनें और एक भाई भी है। घर के हालात ऐसे नहीं थे कि स्वाति देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी की तैयारी कर सकें। लेकिन, स्वाति की आंखों में सपना था कि जाऊंगी तो सिविल सर्विस में ही। वो फैसला कर चुकी थीं कि जिन संघर्षों से उनके माता-पिता जूझ रहे हैं, वो उन्हें उनसे बाहर निकालेगी। उन्होंने अपना पूरा फोकस यूपीएससी की तैयारी पर लगा दिया।

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भूगोल में किया ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन

परिवार को भी एहसास था कि स्वाति एक ना एक दिन कुछ जरूर बनेगी। इसीलिए, स्वाति की पढ़ाई में उन्होंने आर्थिक संकटों को बीच में नहीं आने दिया। शोलापुर के ही सरकारी स्कूल से स्वाति ने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने वालचंद कॉलेज में एडमिशन लिया और भूगोल में ग्रेजुएशन करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। और फिर, शुरू हुआ स्वाति का यूपीएससी का सफर। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया।

मां ने पढ़ाई के लिए गिरवी रख दिए गहने

हालांकि, यूपीएससी के जरिए अफसर बनने के लिए स्वाति के हिस्से में अभी काफी लंबा इंतजार था। पहले प्रयास में उन्हें असफलता मिली। दूसरी बार कोशिश की, लेकिन इस बार भी कामयाबी उनसे दूर रही। और इस तरह, वो लगातार पांच साल तक फेल होती रहीं। परिवार बड़ा था और घर में कमाने वाले केवल उनके पिता थे। ऐसे में एक वक्त वो भी आया, जब पढ़ाई के लिए रुपयों की तंगी महसूस हुई। इस मुश्किल वक्त में स्वाति की मां सामने आईं और अपने गहने गिरवी रखकर रुपयों का इंतजाम किया।

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5 साल के इंतजार के बाद आखिर मिली सफलता

और फिर वो दिन आया, जिसका स्वाति ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को बेसब्री से इंतजार था। 16 अप्रैल को यूपीएससी 2023 की परीक्षा के नतीजे घोषित किए गए। मेरिट लिस्ट में स्वाति का नाम था। उन्हें 492वीं रैंक मिली थी। स्वाति के रिजल्ट की खबर सुनकर पूरे परिवार की आंखों में आंसू थे। आज स्वाति ना केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन चुकी है। उन्होंने दिखा दिया कि भले ही मुश्किलों के पहाड़ कितने ही ऊंचे क्यों ना हों, मजबूत इरादों के आगे अपना सिर झुका ही देते हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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